समाज को जागृत करने में सदैव अग्रणी रहे स्व. डॉ गोंविदराम गोयल निर्वाण दिवस पर अनेक पुण्य कार्य किए गए 

Spread the love

समाज को जागृत करने में सदैव अग्रणी रहे स्व. गोंविदराम गोयल

बुलंद राजस्थान

बीकानेर। समाजसेवी व समाज चेतना आंदोलन में सदैव अग्रणी रहने वाले स्व. गोंविदराम गोयल की पुण्यतिथि पर रविवार 12 जनवरी को कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे। गोविंदराम गोयल के पुत्र प्रेमप्रकाश गोयल व बंशीलाल गोयल ने बताया कि उनके पिता के निर्वाण दिवस पर रविवार को सेवा कार्यों के साथ उनको श्रद्धांजलि दी जाएगी। पुत्र प्रेमप्रकाश गोयल व बंशीलाल गोयल, भ्राता पुत्र गोपालराम, बाबूलाल, बद्रीनारायण, वीरेंद्र कुमार व महेंद्र कुमार, जयदेव, सुनील कुमार, सुरेंद्र, अरविंद, अमित, प्रदीप, प्रवीण, ललित, जितेन्द्र, गिरधारी, किशोर, धर्मेंद्र सहित परिजनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित होगा।

गोविन्द राम गोयल का जन्म 20 मई 1930 को नोखा तहसील के ग्राम चरकड़ा में हुआ था। उनके पिता का नाम खेमाराम गोयल व माता का नाम श्रीमती पन्नीदेवी था। गोयल ने 1947 में ही बीकानेर स्टेट में मैट्रिक तक की

शिक्षा प्राप्त करली थी। दिसम्बर 1948 में इण्डियन कॉसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली द्वारा संचालित कलकता (पश्चिम बंगाल) केन्द्र से गोयल ने त्रैमासिक डिप्लोमा किया। उस जमाने में गोयल बीकानेर जिले के एक मात्र एवं प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने मेट्रिक एवं डिप्लोमा किया। गोविंदराम गोयल का

1949 में पशु पालन विभाग में सरकारी सेवा में चयन हो गया। इसी दौरान गांव कंवलीसर के दुलाराम बारूपाल की पुत्री सीतादेवी के साथ उनका विवाह हो गया। उस समय ग्रामीण आंचल में हो रहे सामन्ती जुल्मों से गोविंदराम गोयल को बहुत पीड़ा पहुंची फलस्वरूप उन्होंने समाज को जागृत करने का बीड़ा उठाया और ग्राम कक्कू (नोखा) और उसके बाद पांचू में विराट सम्मेलन बुलाया और एक सफल कार्यक्रम किया। जिससे दलित समाज में भी साहस एवं स्वभिमान की भावना जागृत होने लगी। गोयल ने 1960 के बाद विभिन्न प्रकार के लेख लिखकर समाज को जागृत करने का काम किया। गोयल शिडूयल्ड कास्ट अपलिफ्ट यूनियन के अध्यक्ष रहे और बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की मूर्ति लगाने में विशेष भूमिका निभाई। देशनोक में 4 फरवरी 1971 को अनुसूचित जाति सम्मेलन किया। 1972 में श्री कोलायत में हरिजन सेवा समिति के तत्वावधान में किसान सम्मेलन किया। 1973 में जैन समाज द्वारा

संस्कार निर्माण समिति के अध्यक्ष बनाये गये और श्री डूंगरगढ़ में आचार्य तुलसी के सानिध्य में दलित सम्मेलन को सम्बोधित किया। गोयल ने कोलायत में मेघवाल धर्मशाला हेतु भूमि आवंटन करवाई और विशाल मेघवाल सम्मेलन करवाया। गोयल ने मई 1977 में स्वैच्छिक सेवा निवृति ले ली और नोखा सुरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़े व दूसरे स्थान पर रहे। 1979 में प्रदेश दलित वर्ग संघ के मंत्री तथा 1981 में बन्धक मजदूर समिति के सदस्य मनोनीत किये गये। गोयल को हर क्षेत्र में महारत हासिल थी। अतः अध्यात्म विज्ञान संत्सग केन्द्र बीकानेर के 1986/87 में अध्यक्ष चुने गये। चरकड़ा ग्राम के उप सरपंच व पंचायत समिति नोखा के सहवृत सदस्य रहे। 12 जनवरी 1995 को गोविंदराम गोयल ने यह शरीर छोड़कर निर्वाण प्राप्त कर लिया, किन्तु सामाजिक, राजनैतिक अध्यात्मिक क्षेत्र में दिये गये योगदान के कारण गोविंदराम गोयल आज भी श्रद्धा के साथ याद किये जाते है।