पूर्व मंत्री टीकाराम जूली बने नेता प्रतिपक्ष, इस पद पर पहुंचने वाले पहले दलित नेता, डोटासरा प्रदेशाध्यक्ष बने रहेंगे
जयपुर। अलवर ग्रामीण से विधायक और पूर्व मंत्री टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मंगलवार को ये आदेश जारी किए। कांग्रेस ने इस बार नेता प्रतिपक्ष के पद पर दलित चेहरे को जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार दलित चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। अब तक कांग्रेस-बीजेपी किसी ने दलित को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया था। साथ गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेशाध्यक्ष बने रहेंगे।
टीकाराम जूली अलवर ग्रामीण से तीसरी बार विधायक बने हैं। गहलोत सरकार में वे पहले राज्य मंत्री थे, इसके बाद उन्हें प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। जूली भंवर जितेंद्र सिंह के नजदीकी माने जाते हैं। जूली काे नेता प्रतिपक्ष बनाने में जितेंद्र सिंह का बड़ा रोल माना जा रहा है।
कांग्रेस ने जाट-दलित कॉम्बिनेशन का फाॅर्मूला अपनाया
कांग्रेस ने इस बार जाट दलित कॉम्बिनेशन का फॉर्मूला अपनाया है। पहली बार दलित नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाकर कांग्रेस ने बड़े वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। जाट चेहरे के तौर पर गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेशाध्यक्ष पद पर बरकरार रखा गया है। लंबे समय बाद इस फॉर्मूले को अपनाया गया है। अब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर जाट और नेता प्रतिपक्ष के तौर पर दलित चेहरे को मौका देकर लोकसभा चुनाव से पहले दो बड़े वोट बैंक को मैसेज देने की रणनीति अपनाई है।
आजादी के बाद राजस्थान में पहली बार दलित नेता प्रतिपक्ष
राजस्थान में 1952 से लेकर आज तक कांग्रेस और बीजेपी ने कभी भी दलित वर्ग के विधायक को प्रतिपक्ष का नेता नहीं बनाया था। टीकाराम जूली राजस्थान में पहले दलित वर्ग के नेता हैं, जो इस पद को संभालेंगे। अब तक सवर्ण और ओबीसी नेता ही इस पद पर रहे हैं।
अब विधानसभा से नोटिफिकेशन होगा
टीकाराम जूली कांग्रेस विधायक दल के नेता बनाए गए हैं, विधानसभा में कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के कारण वे अब नेता प्रतिपक्ष भी होंगे। नेता प्रतिपक्ष के लिए अब विधानसभा से नोटिफिकेशन होगा, विपक्षी दल के नेता के तौर पर उनके नाम का नोटिफिकेशन जारी होगा। विधानसभा से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही उन्हें सुविधाएं मिलनी शुरू होंगी।
जूली बोले-सरकार को जनहित के फैसले लेने को बाध्य करेंगे
जूली ने कहा- हम सरकार को जनहित के फैसले लेने के लिए बाध्य करेंगे। एक महीने में मुख्यमंत्री पर्ची से निकले हैं, मंत्री और उनके विभाग पर्ची से निकले हैं। बिना चुनाव लड़े व्यक्ति को इन्होंने मंत्री बना दिया था। सरकार ने बनते ही आदेश निकाला की नए टेंडर, वर्क ऑर्डर रोक दिए। दूसरी तरफ कह रहे हैं, एक महीने में 100 दिन की कार्ययोजना के काम पूरे कर दिए। मैं तो यह पूछता चाहता हूं कि जब एक महीने से तो नए कामों पर रोक लगी हुई है तो पूरा कहां से कर दिया?