भक्ति भाव से मनाया इंन्द्रदिन सूरीश्वर महाराज का जन्मोत्सव

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भक्ति भाव से मनाया इंन्द्रदिन सूरीश्वर महाराज का जन्मोत्सव*

27 को चैत्य परिपाटी मे 11 जिनालयो के किये जायेंगे सामुहिक दर्शन

बीकानेर, 25 अक्टूबर। रांगड़ी चैक स्थित श्री तपागच्छ पौषधशाला में जैनाचार्य श्री गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी के शिष्यरत्न पुष्पेन्द्र विजय म सा व श्रृतानंद म. सा. के सान्निध्य में चल रहे चार्तुमास आयोजन मे जैन मुनि श्रुतानंद विजय महाराज ने बताया कि चारित्र चुड़ामणि गुरूदेव श्रीमद्विजय इंन्ददिन सूरीश्वर महाराजा का 102वां जन्मदिन भक्ति भाव से मनाया गया।
आत्मानंद जैन सभा के सुरेन्द्र बद्धानी व शांतिलाल हनुजी कोचर ने बताया कि श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के महान जैनाचार्य का आज 102वां जन्मदिन श्रावक श्राविकाओं द्वारा पुर्ण भक्तिभाव के साथ मनाया गया। इन्द्रदेव सूरीश्वर महाराज का 24 वर्षों तक सान्निध्य प्राप्त करने विजय कुमार कोचर तथा कमला बहन ने उनके आध्यामिक क्षमताओं के साथ चमत्काकरिक व्यक्तित्व भरे अपने संस्मरण सुनाऐं।
जैन पाठशाला सभा के अध्यक्ष विजय कुमार कोचर ने बताया कि आचार्य इन्द्रदिन सूरीजी महाराज 5 बार बीकानेर की यात्रा कर चुके है जिसमे 1975, 1979, 1988, 2000 का ऐतिहासिक चैमासा उल्लेखनीय है। अरुणा सुराना, गुड्डी कोचर ने जीवन परिचय करवाते हुए बताया कि 1923 मे कार्तिक बदी नवमी को गुजरात के बड़ौदा के परमार क्षत्रिय वंश मे जन्म लेने वाले इन्द्रदिन सुरीजी महाराज ने 11 वर्ष की आयु मे ही सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया था और रंगविजय महाराज से जैनधर्म की दिक्षा लेकर श्रमण बन गये थे। कालांतर मे इन्होने एक लाख परमार क्षत्रियों को तलवार छुड़ाकर व्यसन मुक्त जीवन के लिए जैन धर्मी बनाया। लुधियाना में 700 घर बनाकर साधर्मिक लोगों के लिए इंद्रनगर बसाया।
जैन मुनि श्रुतानंद महाराज साहब द्वारा इन्द्रदेव सुरीश्वर पर प्रश्नोत्तरी भी रखी जिसमे दीक्षा इंद्रदेव सूरीश्वर ‘नरसंथा’ गांव, बाड़मेर से ‘नाकोडा’ तक पैदल संघ, गणिवारीय पदवी ‘सूरत’ में प्राप्त की, गुरुदेव का समाधि स्थल ‘अम्बाला’ बताया जिसके सही उत्तर देने वालों को उपहार भेंट कीये।

मंदिर श्री पद्म प्रभु ट्रस्ट के अजय बैद ने बताया कि विजयलक्ष्मी का कोचर ने गुजरात भूमि के इंद्रदेव सूरी हमारा, गुरु इंद्रदेव सूरी हमारा, जिनसे महके जग सारा गीत तथा सौम्या महिला मंडल द्वारा गीत गुरु सुरी इंद्र का जन्मदिन हे, आज सभी जय बोलो, खुशियां छाई हे तथा वर्धमान मंडल द्वारा दरबार हजारों हे, ऐसा दरबार कहा, गुरुदेव से मिलता हे, मिले ऐसा ऐसे प्यार कहां गीत पेश किया

इस अवसर पर शांतिलाल सेठिया, सुनील बद्धानी व शांतिलाल हनुजी कोचर ने नवपद ओलिजी के दौरान आयंबिल करने वाली श्राविकाओं को रजत अंगूठी तथा नगद राशि से बहुमान किया। आज की प्रभावना ओसवाल शाॅप परिवार की गई तथा वृद्धिचंद, उत्तमचंद सुराना परिवार की ओर से मोदक की प्रभावना की गई।

रविवार, 27 अक्टूबर को चैत्य परिपाटी के तहत आचार्य श्री पुष्पेंद्रविजय जी व श्रुतानंद विजय जी महाराज के सानिध्य में सामूहिक रूप से 7:15 जिनालयों की सामूहिक दर्शन यात्रा होगी।