जैन धर्म जबरदस्त है, इसमें जबरदस्ती नहीं -साध्वीश्री चंदनबाला
बीकानेर, 01 मार्च। रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में विचक्षण ज्योति, प्रवर्तिनी साध्वीश्री चन्द्रप्रभा की शिष्या साध्वीश्री चंदन बाला ने बुधवार को ’’कर्म के खिलाड़ी’ विषय पर प्रवचन में कहा कि कर्म के कानून से कोई बच नहीं सकता। कर्मों के अनुसार प्राणी को फल अवश्य मिलता है। पाप कर्मों से बचे तथा पुण्य कर्मों का संचय व पुरुषार्थ करें।
साध्वीश्री ने कहा कि कर्मों का क्षय करने से आत्म स्वरूप की अनुभूति व प्राप्ति होती है। हम हर कार्य सावधानी से करते है, लेकिन कर्म करते हुए असावधानी बरतते है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए छोटे-छोटे नियमों की पालना कर व सावधानी रखने से हम अनेक पाप कर्मों से बच जाएंगे। पुण्य की डोर को मजबूती से पकड़ने, अहम, अहंकार, अपेक्षा व उपेक्षा आदि 8 पाप के कारणों पर नियंत्रण से पाप कर्म कम होंगे।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म जबरदस्त है, इसमें जबरदस्ती नहीं है। जैन धर्म आत्म निरीक्षण परीक्षण करते हुए नर्क गति व पापाचारी कार्यों से बचने, प्राणी मात्र की रक्षा करने का संदेश देता है। साध्वीश्री का सुगनजी महाराज के उपासरे में 9 से 11 मार्च तक सुबह सवा नौ बजे से सवा दस बजे तक प्रवचन होंगे। वे 12 मार्च को स्वतंत्रता सेनानी राम रतन कोचर की पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के पूर्व मंत्री विजय कोचर ने साध्वी वृंद को समारोह में शामिल होने की अपील की।
साध्वीश्री चंदनबाला के सानिध्य में प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को की जाने वाली परमात्मा विमलनाथ की भाव यात्रा भक्ति भाव से की गई। कार्यक्रम में विचक्षण महिला मंडल, सामयिक महिला मंडल की बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने हिस्सा लिया।